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क्या भगवान है ? क्या ईश्वर है ? क्या तुमने भगवान को देखा है? भगवान का रूप रंग कैसा है?

क्या भगवान है ?  बहुत से लोग होंगे जो यह कहते हुए मिल जाये गे  कि क्या भगवान है?  क्या तुमने  भगवान को देखा है? भगवान का रूप रंग कैसा है?  प्राचीन ग्रंथो कहा गया है कि मनुष्य का मन और दिमाग बहुत चंचल और तेज  है वह कभी यह नहीं मानता की कोई काम उसने नहीं किया है, वह हर अच्छे काम को अपने आप किया हुआ मानता है, और जब कोई काम खराब हो जाये गए तो ईश्वर को दोष देने लगता हैं, १०० में से लगभग ९९  लोग ऐसा करते है , शायद हम और आप भी ऐसा करते होंगे, हमारे प्राचीन ग्रंथो में भी कई जगह ऐसी बातो का विवरण है, पर में ज्यादा ग्रंथो में ना जाते हुए सरल बातो में बताना चाहता हूँ, एक बार किसी ने मुझसे पूछा क्या आपने भगवान को देखा है तो मैंने उससे कहा हां, देखा है, वह बोला मुझे भी दिखा सकते हो तो मैंने कहा हाँ , पर मेरी एक शर्त है पहले तुम मुझे विजली दिखाओ, वह बोला विजली तो इन तारो से गुजर रही है, मैंने कहा चलो दिखा न सकते हो तो केवल उसका रंग ही बता दो वह चुप हो गया, मैंने उसकी और देख कर बोला की जिस प्रकार विजली को देख पाना संभव नहीं है, पर जब तार पकड़ कर देखो गे तो करेंट लग जाता है और हम जान लेते है की
आप सभी को आज से इस ब्लॉग में जन्म कुंडली और हाथ की रेखाओ  की जानकारी मिले गी  इसके साथ ही साथ आप मुझसे अपने आने वाले कल के बारे में पूछ सकते है जिसका आपको कोई भी भुगतान नहीं देना पड़ेगा यह सुविधा फ्री में दी जाएगी मेरा पूरा प्रयास होगा की आप सभी के प्रश्नो  के उत्तर दे सकूँ धर्मेन्द्र सिंह चौहान (प्रभु कृपा)

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित...

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित... श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु , जो दायकु फल चारि। अर्थ-   शरीर गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं , जो चारों फल धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष को देने वाला है।   ****   बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमिरो पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेश विकार। अर्थ-   हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल , सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कार दीजिए। ****   जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥ 1 ॥ अर्थ-   श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों , स्वर्ग लोक , भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है। ****   राम दूत अतुलित बलधामा , अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥ 2 ॥ अर्थ-   हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है। ****   महावीर विक्रम बजरंगी , कुमति निव