रामचरितमानस के मन्त्र गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा प्रकट किये गये रामचरितमानस के मन्त्र अगर इन मंत्र से लाभ मिले तो कृपया मुझे ईमेल करें- ds_chauhan2007@yahoo.co.in विभिन्न कष्ट निवारण मन्त्र ईश्वर दर्शन के लिए नील सरोरुह नील मनि नील नीलधर श्याम । लाजहि तन शोभा निरखि कोटि कोटि शत काम ॥ आराम मिलने के लिए रामचरन द्रढ प्रीति कर बालि कीन्ह तन त्याग । सुमन माल जिमि कंठ से गिरत न जानै नाग ॥ रक्षा मंत्र मामभिरक्षय रघुकुल नायक । घृतवर चाप रुचिरकर सायक ॥ विपत्तिनाश के लिये राजिवनयन धरें धनु सायक । भगत विपति भंजन सुखदायक ॥ संकटनाश के लिये जो प्रभु दीनदयाल कहावा । आरति हरन वेद जसु गावा॥जपहि नामु जनु आरति भारी। मिटहि कुसंकट होहिं सुखारी॥दीन दयाल विरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥ कठिन कलेश नाश के लिये हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥ विघ्न शांति के लिये सकल विघ्न व्यापहिं नहि तेही।राम सुकृपा बिलोकहिं जेही॥ दुख नाश के लिये जब ते राम ब्यहि घर आये।नित नव मंगल मोद बधाये॥ चिन्ता की समाप्ति के लिये जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज काहूहिं...
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जुलाई 29, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं