क्या भगवान है ? क्या ईश्वर है ? क्या तुमने भगवान को देखा है? भगवान का रूप रंग कैसा है?
क्या भगवान है ?
बहुत से लोग होंगे जो यह कहते हुए मिल जाये गे कि क्या भगवान है? क्या तुमने भगवान को देखा है?
भगवान का रूप रंग कैसा है? प्राचीन ग्रंथो कहा गया है कि मनुष्य का मन और दिमाग बहुत चंचल और तेज है वह कभी यह नहीं मानता की कोई काम उसने नहीं किया है, वह हर अच्छे काम को अपने आप किया हुआ मानता है, और जब कोई काम खराब हो जाये गए तो ईश्वर को दोष देने लगता हैं, १०० में से लगभग ९९ लोग ऐसा करते है , शायद हम और आप भी ऐसा करते होंगे,
हमारे प्राचीन ग्रंथो में भी कई जगह ऐसी बातो का विवरण है, पर में ज्यादा ग्रंथो में ना जाते हुए सरल बातो में बताना चाहता हूँ, एक बार किसी ने मुझसे पूछा क्या आपने भगवान को देखा है तो मैंने उससे कहा हां, देखा है, वह बोला मुझे भी दिखा सकते हो तो मैंने कहा हाँ , पर मेरी एक शर्त है पहले तुम मुझे विजली दिखाओ, वह बोला विजली तो इन तारो से गुजर रही है, मैंने कहा चलो दिखा न सकते हो तो केवल उसका रंग ही बता दो वह चुप हो गया, मैंने उसकी और देख कर बोला की जिस प्रकार विजली को देख पाना संभव नहीं है, पर जब तार पकड़ कर देखो गे तो करेंट लग जाता है और हम जान लेते है की इन तारों में बिजली प्रवाहित हो रही है, ठीक उसी प्रकार से ईश्वर को इन आँखों से देख पाना संभव नहीं है, वह तो हर पल, हर समय, हर जगह हैं, हम जो भी अनुभव करते है वही भगवान है.
आप लोगों से कहना चाहता हूँ, आप कई बार ट्रैन पकड़ने या अन्य कार्य के लिए जाते है पर वह कार्य हो नहीं पाता, जबकि कहो अगले दिन अचानक कोई मिल जाता है और आपका काम सरलता से हो जाता है, यही तो महिमा है भवगवान की , वह किसी को भी आपकी मदद के लिए अचानक भेज देते है, भले ही हम उससे बहुत दिनों बाद या कभी न मिले हो फिर भी वह हमारी सहायता करता है, क्या आपने सोचा की यह कैसे हुआ, सोच कर देखो अपने आप भगवान के आने और दिखने का अनुभव याद आने लगेगा,
ईश्वर को किसी रूप रंग में नहीं बँधा जा सकता, वह तो आदि है और कब किस का और कौन सा रूप रख कर आएंगे वह तो उनकी महिमा है, बस हमे उनके रूप का ह्रदय से अनुभव करना है जब ही हम उनको महसूस कर सकेंगे, वरना हम यही पूछते रहेंगे की क्या भगवान है ? और एक दिन इस धरती से अलविदा हो जाएंगे ,
धर्मेन्द्र सिंह चौहान (प्रभु कृपा)
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