रामभक्त हनुमान का अनोखा संग्रहालय
हनुमान भक्तों के लिए बजरंग का विश्व में पहला और अनोखा दुर्लभ संग्रहालय लखनऊ में स्थापित किया गया है। रामभक्त से जुड़ी चीजों के अनूठे संग्रह के लिए इसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। यह अनोखा काम कर दिखाया है हनुमान भक्त सुनील गोम्बर ने। सुनील गोम्बर ने इस संग्रहालय के लिए देश-विदेश से पिछले कई सालों से हनुमानजी से जुड़ी अनेक चीजें संग्रहित की हैं।
इंदिरानगर स्थित अपने निवास बजरंग निकुंज के प्रथम तल में सुनील गोम्बर ने एक बड़े हॉल में इस संग्रहालय में हनुमानजी के जुड़ी दुर्लभ वस्तुएँ संग्रहित की हैं। इस संग्रहालय में प्रभु श्रीराम के 48 चिह्नों द्वारा अंकित चरण पादुकाओं के दर्शन मिलेंगे। यह चाँदी में कारीगरी के द्वारा तैयार कराए गए हैं। भगवान राम द्वारा उच्चारित किए गए हनुमानजी के 1000 विभिन्न नाम भी यहाँ पढ़ने को मिल जाएँगे। ये हनुमान सहस्रनाम स्तोत्र से लिए गए हैं तथा संस्कृत से इनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
संग्रहालय की दीवार में संकटमोचन दिव्य लोक की स्थापना की गई है। इस दिव्यलोक में हनुमान परिवार की दिव्य झाँकी को दर्शाया गया है। हनुमानजी संकट सुवन माने जाते हैं, इसलिए झाँकी सर्वप्रथम शंकरजी, फिर इनके स्वामी श्रीराम, सीताजी, लक्ष्मीजी, इनके पिता केसरीजी एवं माता अंजनीजी, इनके गुरु सूर्यदेव, पवनदेव जिनके ये औरस पुत्र माने जाते हैं आदि को एक ही स्थान पर विराजित किया गया है। मित्र मंडली के सुग्रीव, अंगद, नल, नील एवं इनके सलाहकार जामवंत भी विराजमान हैं। इनके कृपापात्र गोस्वामी तुलसीदासजी भी इस दिव्यलोक में शोभायमान हैं।
हनुमत संग्रहालय में हनुमानजी पर उपलब्ध विभिन्न संगीतमय भजनों की कैसेट व सीडी का संग्रह, हनुमानजी पर विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध देश-विदेश के साहित्य की लगभग 250 पुस्तकें उपलब्ध हैं। साथ ही हनुमानजी पर कार्य कर रहे देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं की सूचना, हनुमानजी का मुकुट, कुंडल, गदा, ध्वज, सिंदूर, मूँज के जनेऊ का संग्रह है।
संग्रहालय में हनुमानजी का प्रचार-प्रसार करने वाली अवतारी विभूतियों के चित्र जैसे नीम करौली बाबा, गुरु समर्थराम दास आदि तथा देश-विदेश की हनुमानजी पर 137 वेबसाइट की सूचना जिज्ञासु भक्तों को सहजता से उपलब्ध है। हनुमत संग्रहालय का औपचारिक उद्घाटन 21 नवम्बर 2004 को हुआ था। तब से लेकर आज तक यह संग्रहालय लगातार बढ़ता जा रहा है।
यहाँ हंगरी की कलाकार ह्यूमिल रोजेलिया (राधिकाप्रिया) द्वारा राम चरितमानस के सात काण्डों पर आधारित अद्भुत शैली में बनाई गई सात पेंटिंग भी लगाई गई हैं। यहीं पर सन 1864 में रतलाम के राजा रंजीतसिंह द्वारा जारी किए गए हनुमानजी के सिक्कों का संग्रह रखा गया है। हनुमानजी की लंगूर रूप में एक विलक्षण प्रतिमा का प्रदर्शन भी किया गया है। हनुमानजी की एक प्रतिमा ऐसी है, जिसमें हनुमान ऊँट पर सवार हैं और हाथ में पताका लिए हुए हैं। यहाँ पालने में लेटे बाल हनुमान को निहारना अत्यंत मनोहारी लगता है ।
सुनील गोम्बर ने इस संग्रहालय में राम-हनुमान लेखन बैंक की भी स्थापना की है। प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े सुनील गोम्बर जब कक्षा 7 के छात्र थे तभी से हनुमानजी के प्रति आसक्ति हो गई थी, जो धीरे-धीरे अब जुनून में परिवर्तित हो गई है। कुछ वर्ष पूर्व उनकी नाक से अचानक निकलने वाले खून ने उनकी जीवन दृष्टि ही बदल दी। यहीं से वे जीवन का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं। इसी समय उन्होंने जय बजरंग चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की ।
सुनील गोम्बर ने हनुमानजी से संबंधित 4 पुस्तकों को संकलित कर प्रकाशन भी किया है। उनकी सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक तुलसीदास हनुमान साधना शब्दमणि है। इसके अलावा उनकी पुस्तक तुलसीदास का हनुमान दर्शन, सुन्दरकाण्ड सुन्दर क्यों, भक्तों का दृष्टिकोण तथा वर्ल्ड ऑफ लार्ड हनुमान भी चर्चा में हैं।
सुनील गोम्बर ने विशेषकर हनुमान भक्तों से विनती की है कि हनुमानजी से संबंधित किसी भी प्रकार की पुस्तक, दुर्लभ सामग्री, दुर्लभ सूचना मिले तो उसे उनके पास भेजें, वे उसे इस संग्रहालय में संजोकर रखेंगे। सुनील गोम्बर हनुमान भक्तों को संग्रहालय में सपरिवार आमंत्रित करते हैं। यह संग्रहालय आम जनता के लिए प्रत्येक रविवार प्रातः 11 बजे से अपराह्न 1 बजे तक खुला रहता है।
संग्रहालय का पता-
बजरंग निकुंज 14/1192, इंदिरा नगर, लखनऊ
फोन-0522-2711172, मो.- 9415011817
धर्मेन्द्र सिंह चौहान 09457677900 (प्रभु कृपा)
इंदिरानगर स्थित अपने निवास बजरंग निकुंज के प्रथम तल में सुनील गोम्बर ने एक बड़े हॉल में इस संग्रहालय में हनुमानजी के जुड़ी दुर्लभ वस्तुएँ संग्रहित की हैं। इस संग्रहालय में प्रभु श्रीराम के 48 चिह्नों द्वारा अंकित चरण पादुकाओं के दर्शन मिलेंगे। यह चाँदी में कारीगरी के द्वारा तैयार कराए गए हैं। भगवान राम द्वारा उच्चारित किए गए हनुमानजी के 1000 विभिन्न नाम भी यहाँ पढ़ने को मिल जाएँगे। ये हनुमान सहस्रनाम स्तोत्र से लिए गए हैं तथा संस्कृत से इनका हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
संग्रहालय की दीवार में संकटमोचन दिव्य लोक की स्थापना की गई है। इस दिव्यलोक में हनुमान परिवार की दिव्य झाँकी को दर्शाया गया है। हनुमानजी संकट सुवन माने जाते हैं, इसलिए झाँकी सर्वप्रथम शंकरजी, फिर इनके स्वामी श्रीराम, सीताजी, लक्ष्मीजी, इनके पिता केसरीजी एवं माता अंजनीजी, इनके गुरु सूर्यदेव, पवनदेव जिनके ये औरस पुत्र माने जाते हैं आदि को एक ही स्थान पर विराजित किया गया है। मित्र मंडली के सुग्रीव, अंगद, नल, नील एवं इनके सलाहकार जामवंत भी विराजमान हैं। इनके कृपापात्र गोस्वामी तुलसीदासजी भी इस दिव्यलोक में शोभायमान हैं।
हनुमत संग्रहालय में हनुमानजी पर उपलब्ध विभिन्न संगीतमय भजनों की कैसेट व सीडी का संग्रह, हनुमानजी पर विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध देश-विदेश के साहित्य की लगभग 250 पुस्तकें उपलब्ध हैं। साथ ही हनुमानजी पर कार्य कर रहे देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं की सूचना, हनुमानजी का मुकुट, कुंडल, गदा, ध्वज, सिंदूर, मूँज के जनेऊ का संग्रह है।
संग्रहालय में हनुमानजी का प्रचार-प्रसार करने वाली अवतारी विभूतियों के चित्र जैसे नीम करौली बाबा, गुरु समर्थराम दास आदि तथा देश-विदेश की हनुमानजी पर 137 वेबसाइट की सूचना जिज्ञासु भक्तों को सहजता से उपलब्ध है। हनुमत संग्रहालय का औपचारिक उद्घाटन 21 नवम्बर 2004 को हुआ था। तब से लेकर आज तक यह संग्रहालय लगातार बढ़ता जा रहा है।
यहाँ हंगरी की कलाकार ह्यूमिल रोजेलिया (राधिकाप्रिया) द्वारा राम चरितमानस के सात काण्डों पर आधारित अद्भुत शैली में बनाई गई सात पेंटिंग भी लगाई गई हैं। यहीं पर सन 1864 में रतलाम के राजा रंजीतसिंह द्वारा जारी किए गए हनुमानजी के सिक्कों का संग्रह रखा गया है। हनुमानजी की लंगूर रूप में एक विलक्षण प्रतिमा का प्रदर्शन भी किया गया है। हनुमानजी की एक प्रतिमा ऐसी है, जिसमें हनुमान ऊँट पर सवार हैं और हाथ में पताका लिए हुए हैं। यहाँ पालने में लेटे बाल हनुमान को निहारना अत्यंत मनोहारी लगता है ।
सुनील गोम्बर ने इस संग्रहालय में राम-हनुमान लेखन बैंक की भी स्थापना की है। प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े सुनील गोम्बर जब कक्षा 7 के छात्र थे तभी से हनुमानजी के प्रति आसक्ति हो गई थी, जो धीरे-धीरे अब जुनून में परिवर्तित हो गई है। कुछ वर्ष पूर्व उनकी नाक से अचानक निकलने वाले खून ने उनकी जीवन दृष्टि ही बदल दी। यहीं से वे जीवन का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं। इसी समय उन्होंने जय बजरंग चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की ।
सुनील गोम्बर ने हनुमानजी से संबंधित 4 पुस्तकों को संकलित कर प्रकाशन भी किया है। उनकी सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक तुलसीदास हनुमान साधना शब्दमणि है। इसके अलावा उनकी पुस्तक तुलसीदास का हनुमान दर्शन, सुन्दरकाण्ड सुन्दर क्यों, भक्तों का दृष्टिकोण तथा वर्ल्ड ऑफ लार्ड हनुमान भी चर्चा में हैं।
सुनील गोम्बर ने विशेषकर हनुमान भक्तों से विनती की है कि हनुमानजी से संबंधित किसी भी प्रकार की पुस्तक, दुर्लभ सामग्री, दुर्लभ सूचना मिले तो उसे उनके पास भेजें, वे उसे इस संग्रहालय में संजोकर रखेंगे। सुनील गोम्बर हनुमान भक्तों को संग्रहालय में सपरिवार आमंत्रित करते हैं। यह संग्रहालय आम जनता के लिए प्रत्येक रविवार प्रातः 11 बजे से अपराह्न 1 बजे तक खुला रहता है।
संग्रहालय का पता-
बजरंग निकुंज 14/1192, इंदिरा नगर, लखनऊ
फोन-0522-2711172, मो.- 9415011817
धर्मेन्द्र सिंह चौहान 09457677900 (प्रभु कृपा)
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